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सोचने वाली बात है.. या यूं कहें साधारण समझ की बात है… इस्लाम के बारे में बोला जाता है शांति का धर्मं है.. कुरान सबसे प्यार करना सिखलाता है..सारे मुसलमान एक जैसे नहीं होते … वगैरह वगैरह मैं भी अपने दिल यही समझाने की कोशिश करता हूँ … मगर तथ्य मेरा साथ नहीं देते, चाहे वो वर्तमान के हो या अतीत के … कही गयी या उछली बातों पर जाने के बजाय अगर तथ्यों पर जाएँ या घटित घटनाओं पर जाएँ तो क्या फिर भी यही बोला जायेगा…. ये तथ्य केवल भारत के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के देखे जाने चाहिए..ये तथ्य केवल आज के हिसाब से नहीं बल्कि इतिहास के भी देखे जाए जाने चाहिए …. .. आप हर शहर में मुसलमान बहुल एरिया के बारे में जानकारी लीजिये और ज्यादा नहीं कर सकते तो अपने शहर के मुस्लिम इलाके का जायजा लीजये …. वैसे तो मैंने बहुत से शहर घूमें हैं हर शहर में कमोबेश स्थिति एक जैसी है… मीडिया गुजरात को लेकर मोदी के पीछे पड़ा रहता है… तो कोकराझार के बारे में क्या बोलेंगे या फिर कुछ दिन पहले राजस्थान के भरतपुर, या फिर कुछ दिन पहले मथुरा के बारे में …. या फिर ढाका में हुए भारत पाक के मैच के बाद बंगाल के हावड़ा में हुई घटना( मीडिया ने इस खबर को नहीं उछाला) ….. या फिर इस्राएल में यहूदी के साथ भिडंत हो या ९/११ घटना..या २६/११ की घटना हो या कश्मीर हो … ..या फिर सोमालिया की घटना या फिर अन्य अफ़्रीकी देशों की दशा … खुद जलते हुए मुस्लिम बहुल राष्ट्र.. मध्य पूर्व के देश हो या पाकिस्तान या बंगला देश हो कोई भी देश ..क्या क्या गिनाऊं .समझ नहीं पा रहा हूँ. ….सोचने वाली बात है… कोई तकनिकी दुनिया को दी नहीं,..कही कोई शांति नहीं दी ..फिर भी तुर्रा ये की हमें सब चाहिए ..खुद आपस में शिया सुन्नी के झगड़े…हर देश में … हर धर्म के लोगों से झगडा ….. सुना ही होगा इसाई के साथ … सिखों के साथ ..यहूदियों के साथ …. हिन्दुओं के साथ… वगैरह वगैरह ..
कोकराझार में हुई घटना तो बस इन्ही सिलसिलों में से एक है…. बस तिलमिला के रहिये और कांग्रेस को गाली दीजिये.. बस यही है इस देश की विडम्बना .. या फिर ..AC कमरें के अन्दर बैठकर रोक स्टार के गाने सुनिए … कहिये …F**K THIS POLITICS…
मुझे याद आ रहा जब मैं २००६ में बोंगाई गावं ( निचले असाम में कोकराझार में के पास एक जिला ) में रहता था..तब मेरे कई सारे बोडो मित्र हुआ करते थे.. ये बोडो जनजाति के लोग एकदम सीधे दिमाग के होते हैं ..ज्यादा जटिलता नहीं समझते …आप उनके साथ रहेंगे तो आपकी खूब आवभगत करेंगे आपसे प्यार से मिलेंगे.. मंगोलियन प्रजाति होने के कारण देखने में पहाड़ी जैसे लगते हैं… जनजातियों का अपना रहन सहन होता हैं चाहे वो संथाली हो या राजवंशी हो या बोडो या फिर नक्सलबड़ी के आदिवासी… मेरा भी एक बोडो मित्र हुआ करता था …नाम था या यूं कहें हैं ‘विष्णु बसुमतारी’.. वैसे अभी मेरा उससे से संपर्क नहीं कई सालों से .. उस समय टेलीकाम प्रोजेक्ट के दौरान उससे से मित्रता हुई थी.. वास्तव में वो मेरे अधीन काम करता था.. अच्छे खासे पैसे वाले घर का था ..मगर जिंदगी में हर किसी को घर से निर्भरता ख़त्म करके अपने पैरों पे खड़ा होना पड़ता है.. इसलिए एक ठेकेदार से परिचय से हमारे साथ काम करता था ..बहुत ही हंसमुख था… आम युवाओं की तरह उसे भी राजनीती पर और धर्मं पर ज्यादा बहस समझ नहीं आती थी… आप उससे नई फिल्मों के बारे में, लड़कियों के बारे में या फिर मस्ती करने के बारे में बात करिए .. अक्सर किसी न किसी लड़की के साथ चिपका रहता था फ़ोन में… लड़की पटाने के तरीके बताया था … उसका कहना था राजनीती और धर्म की बहस कभी किसी लड़की के साथ नहीं करनी चाहिए ..बिदक जाएगी…उसका कहना था बस लड़की की तारीफ करते रहो सच्ची या झूठी ..बस लड़की को आदत पड़ जाएगी ये सब सुनने की .. .. उसे खाने पीने और मस्ती की सूझती थी…एक दो बार तो मैं उसे भगा चुका था काम में रूचि न दिखाने की वजह से ..मगर वो फिर भी आ ही जाता था .. मेरी डांट का बुरा नहीं मानता था…खैर समय के साथ मैंने वो शहर छोड़ दिया..कई साल हो गए..अभी कोकराझार की घटना के बाद मैंने अपने पुराने असामी मित्र से जब उसके बारे में पूछा तो उसने बताया की उसका कुछ पता नहीं अपना घर छोड़कर कहीं रिश्तेदारों के यहाँ चला गया उसका परिवार ..वो मित्र बता रहा था की उसका घर भी दंगो में जला दिया गया …
मुझे विष्णु बसुमतारी के चेहरे में हिन्दुस्तान के बहुत से युवाओं का चेहरा नज़र आता था.. जिन्हें लगता है कि उनके साथ ऐसा कुछ नहीं होगा ..उनकी जिंदगी तो बस मजे में गुजर जाएगी..
मुसलमानों को क्या नहीं चाहिए आपका ..उन्हें जमीन चाहिए..घर चाहिए ..आपकी संपत्ति चाहिए ..यहाँ तक हिन्दुओं की औरत चाहिए ..यकीन नहीं होता..हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सभी बड़े स्टार को देख लीजिये ..सबको हिन्दू लड़की ही चाहिए.. कुछ को एक नहीं दो दो … एक स्टार को सबसे सुन्दर हिन्दू लड़की नहीं मिली तो मुहँ फुला के बैठा है की शादी ही नहीं करेगा …. क्या ऐसा पाकिस्तान में या बंगला देश में या किसी अन्य मुस्लिम में देश में संभव है??
ये पाकिस्तान और बंगला देश है क्या ..हिन्दुओं की लूटी हुई औरतों पर बने हैं..अपने साथ आक्रमण कारी औरतें लेकर नहीं चलते …. इतिहास गवाह है….
आजकल कांग्रेस के हिन्दू नेता को खुद को हिन्दू कहने में और हिन्दुओ की आवाज उठाने में शर्म आती कही उसे साम्प्रदायिक न समझ लिया जाये.. वहीँ दूसरी ओर सलमान खुशीर्द और आज़म खान ताल ठोक कर कहते हैं मुसलमानों को ९% आरक्षण चाहिए …आखिर चक्कर क्या है… चलिए मान लिया दलितों के साथ पहले से अन्याय हुआ..उठने नहीं दिया गया ..उनका मानसिक स्तर इतना नहीं है की वो सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के साथ प्रतिद्वंदिता कर सके मगर मुसल मानो के साथ तो ऐसा नहीं है ..वो तो आक्रमण कारी बन कर आये थे इस देश में ..हिन्दुओं का मान मर्दन करके राज किया उनका मानसिक स्तर कहाँ से गिर गया .. उनकी दशा खराब कैसे हो गयी जब सब कुछ लूट किया फिर भी दशा खराब … जब “हम पांच हमारे पच्चीस” करेंगे तो क्या होगा ?? आत्म मंथन की जरूरत नहीं समझते ….
इस देश की समस्या ये है की छदम सेकुलर वादी भी हिन्दुओं को समझाने में लगे हैं या ये कहें टांग खीचने पे लगे …
जब कभी राह में कोई दुर्घटना होती है तो हर किसी को लगता की ये उसके साथ नहीं हो सकती ..दूसरों के साथ ही होती ..मैं तो अपना सब कुछ ठीक रखता हूँ.. मगर वो ” दूसरा ” कौन है.??
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